Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग-19 ( Vengeance~ प्रतिशोध )

उसका ये कहना था कि मेरा खून हज़ार डिग्री सेल्सीयस पर खौला, मैने उसे घूर कर देखा....एक बार फिर वही हुआ जो मैने सोच कर रखा है, वो मेरे पास आया और मेरा कॉलर पकड़ कर बोला..

"क्या घूर रहा है , मैं हूँ तेरा बाप..."

"चल बे टुच्चे...  मूत दूंगा तो बह  जायेगा... "


मेरे मुँह से निकला ये लफ्ज़ सबके लिए एक धमाके की तरह था... खुद बाजीराव सिंघम और उसका दोस्त भी इस धमाके के चपेट मे आ गये, उन दोनों को अब भी यकीन नही हो रहा था की कल का आया एक लौंडा उनकी बादशाहत को ऐसे एक पल मे नीलाम कर सकता है.....मैने बाजीराव सिंघम के शरीर को देखा और अंदाज़ा लगाया कि यदि हमारी लड़ाई हुई तो रिज़ल्ट बहुत देर तक मे आएगा, मतलब कि हम दोनो बराबर थे......

"तू जानता है कौन हूँ मैं...मैं हूँ बाजीराव सिंघम..."अपना सीना ठोक कर फिल्मी स्टाइल मे वो बोला....

"तू अगर बाजीराव सिंघम है तो मैं हूँ चुलबुल पांडे...अब बोल बे टुच्चे.. देख ऐसा है.. बहुत हो गया तेरा और ये तेरे बकलोल दोस्त की रैगिंग... अब शांति से काट लो... वरना यही धर के पेल दूंगा...  दिमाग़ वैसे भी ख़राब है तुम सीनियर्स  पर..."


मेरे इतना बोलते ही वो एकदम से शांत हो गया और कुछ देर तक मेरी आँखो मे आँखे डाल कर ना जाने क्या सोचता रहा, उसके बाद उसने अपने दोस्त को बुलाया, शतड उसे भी अंदाजा हो गया था की यदि हम दोनों की लड़ाई हुई तो मुक़ाबला बराबरी का रहेगा... इसलिए उसने गेट पर खड़े अपने दोस्त को आमंत्रण दिया और इधर  मैने अरुण को खड़ा होने के लिए कहा.....उस वक़्त दोनो तरफ दो लोग थे और दोनो ही बराबर लेकिन पलड़ा हमारा भारी था

"सुन बे कुत्ते.... "मैने उस सीनियर से कहा  "जब हमारी लड़ाई चलेगी तो उसी हमारे क्लास का कोई एक स्टूडेंट जाकर प्रिन्सिपल ऑफीस मे ये न्यूज़ देके आएगा कि मैकेनिकल  फर्स्ट ईयर  मे कुछ सीनियर्स , जूनियर्स को बुरी तरह पीट रहे है, और प्रिन्सिपल सर मान भी लेंगे....उसके बाद तुम दोनो को कॉलेज से निकाल दिया जाएगा.....तो बेहतर यही है कि अभी क्लास से बाहर चले जाओ वरना कॉलेज से बाहर जाना पड़ेगा........ रैगिंग मे जेल जाओगे वो अलग... और यहाँ तोह लात खाना तय ही है तुम दोनों का.. यकीन नही तो  आ... एक बाप की औलाद है तो... बहुत हो गया तुम लोगो का.. अब ठोकना पड़ेगा तुम कुत्तो को " बेंच से बाहर निकलकर मैने कहा


जिसके बाद वो  दोनो क्लास से बाहर चले गये,लेकिन मुझे यकीन था कि वो मुझे बाहर ज़रूर पकड़ेंगे और उसी वक़्त मैने अपने दुश्मनो मे कल वाले सीनियर्स के साथ उन दोनो का नाम भी जोड़ लिया.....मेरी आज इस दिलेरी की वजह से सबकी नज़र मुझपर होगी ये मैने पहले ही सोच लिया था, और उसी वक़्त मैने खुद से बोला कि"काश एश इस क्लास मे होती तो आज वो मेरी हिम्मत देख मुझसे  ज़रूर पट जाती, फिर हम दोनो उसके पैसे पर बाहर खाना खाने जाते, उसके बाद उसी के पैसे से खरीदी गई  एक ही कोल्ड ड्रिंक मे स्ट्रॉ डाल कर पीते और उसके बाद मैं उसे एक लाल गुलाब देता, उसके पैसे भी वो ही देती और जब मै उसे लाल गुलाब देता तो वो शरमा  कर कहती कि "अरमान...तुम कितने वो हो...""


"दीपिका मैम  के पास नही जाना क्या...."अरुण की बेसुरी आवाज़ ने मुझे होश मे लाया....

"रिसेस हो गया..?"

"5 मिनट. भी हो गये है.... कहा खोया है...?"

"तू भी चल ना..."

"तू जा "अंगड़ाई मारते हुए अरुण बोला"मुझे नींद आ रही है.. मै मस्त पुरे लंच मे सोयूंगा... पर पहले किसी का टिफ़िन छीन कर खाऊंगा..."

इस तरह मैं अकेले ही अपनी जगह से उठा और क्लास से बाहर जाने लगा तभी अरुण ने आवाज़ दी"संभाल कर कहीं मैम.. तीन गुना से 6 गुना ना कर दे असाइनमेंट... उनसे कायदे मे बात करना.. तेरी हरकते  आज कुछ ठीक नही लग रही मुझे.. वरना सीधे तेरा रेप करेंगी वो......."

"लड़किया भी रेप करती है क्या...?"मैने हँसते हुए अरुण से पुछा

"आज कल की लड़किया कुछ भी कर सकती है...."उसने भी हँसते हुए जवाब दिया.....

"चल ठीक है, मिलता हूँ कुछ देर मे..."

मैं क्लास से बाहर निकल आया, कंप्यूटर लैब ग्राउंड फ्लोर पर एकदम कोने मे था, वैसे सभी लैब कोने मे ही होते है...  ऐसा क्यों...? ये आज तक मेरे लिए सस्पेंस है. Anyway, जैसे-जैसे मैं सीढ़िया उतर रहा था वैसे-वैसे ही एक डर, एक शरम मेरे अंदर अपना डेरा जमा रही थी....मैं यही चाह रहा था कि दीपिका मैम  कंप्यूटर लैब  मे अकेली ना हो, उनके साथ कुछ स्टूडेंट्स भी हो.....मैं अपने कॉलेज का शायद एकलौता ऐसा लड़का था जो दीपिका मैम  जैसी हॉट आइटम की करीबी से डर रहा था... मेरे मन मे फिजिक्स लैब वाली उनकी हरकत ताजा हो गई और वो टच....  रोम रोम खड़ा हो गया, उस मोमेंट को याद करते ही... मतलब कहने को तो बहुत नार्मल बात थी ये मेरे लिए.. क्यूंकि उसके तुरंत बात कई घटनाये ऐसी घाटी मेरे साथ की मै उसपर तवज्जो ही नही दे पाया.... लेकिन अब जब तवज्जो दे रहा था... तो.... समझ आ रहा था की....

"Wtf... Man... ये कैसे मुमकिन है...??? क्या ऐसा भी होता है...?"

खैर, मै कंप्यूटर लैब के पास पहुंच चुका था,  दीपिका मैम... अपना लंच बॉक्स खोले सामने desk पर रखे कंप्यूटर मे बिजी थी... शायद पोर्न देख रही होंगी 😁😋

"मे आइ कम इन, मैम ..."कंप्यूटर लैब  के गेट के पास खड़े होकर मैने अंदर आने की पर्मिशन माँगी....

"अरमान...कम इन"वो खुश होते हुए इस कदर बोली ,जैसे उसे कब से मेरा इंतेज़ार हो.....उसकी उस हँसी ने मुझे अंदर से डरा दिया और मेरे कानो मे अरुण की आवाज़ गूंजने लगी"संभाल कर ,कही वो तेरा रेप ना कर दे...."

"अरे अंदर आओ, बाहर क्यूँ खड़े हो..."उसने मुझे दोबारा अंदर आने के लिए कहा और मैं बजरंग बली का नाम लेकर जंग-ए-मैदान मे कूद गया....

"आपने मुझे बुलाया था..."जहाँ वो बैठी थी वहाँ जाकर मैं बोला और चारो तरफ नज़र दौड़ाई पूरे लैब  मे उसके और मेरे सिवा सिर्फ़ कंप्यूटर्स थे....

"तुमने असाइनमेंट कंप्लीट क्यूँ नही किया...." वो अपनी जगह से उठ खड़ी हुई...

जिसकी वजह शायद मै ही था...

अंदर आते ही मैने अपनी नजर सीधे उनके लंच बॉक्स मे डाली थी और लंच बॉक्स देख कर लार टपका दिया था... मतलब क्या मस्त खुशबू आ रही थी.. उनके लंच से. भूख ना होते हुए भी मुझे भूख लग आयी और मुझे अपने लंच की तरफ ऐसा घूरता देख उन्होंने तुरंत शट्ट से अपना लंच बॉक्स बैंड कर दिया  और खड़ी हो गई.... उन्होंने अपना हाथ साफ किया और फिर मेरे पास से गुजर कर एक चेयर खींच कर मेरे करीब बैठ गई...

"मस्त पर्फ्यूम लगाई है इस हवसी  ने..."मैं बड़बड़ाया...

"तुमने असाइनमेंट पूरा नही किया ,क्या मैं जान सकती हूँ कि ऐसा क्यूँ हुआ..."थोड़ा तेज आवाज़ मे, थोड़ा गुस्सैल अंदाज मे वो पूछी... मानो मुझे डराने की कोशिश कर रही हो...

"सॉरी मैम , आइ फर्गॉट"

"क्या भूल गये.."

"असाइनमेंट करना भूल गया..."

जिसके बाद वो फिर जहा बैठी थी वहा से उठ खड़ी हुई और मेरे पीछे खड़े होकर धीरे से मेरे कान के पास फुसफुसाई

" फिज़िक्स लैब  वाली बात तो नही भूले...?"



अगली लघुकथा (हॉरर ) ~ Boy's Hostel

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5 Comments

Sana Khan

01-Dec-2021 02:05 PM

Good

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Barsha🖤👑

25-Nov-2021 05:23 PM

बहुत ही इंटरेस्टिंग कहानी है

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Sana khan

28-Aug-2021 04:10 PM

Bahoot khubsurat hai

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